Thursday, June 23, 2022
Friday, October 26, 2012
Monday, October 24, 2011
Friday, July 8, 2011
"जुर्रत से हर नतीजे की परवा किये बगै़र
दरबार छोड़ आया हूँ सजदा किये बगै़र
ये शहरे एहतिजाज है ख़ामोश मत रहो
...हक़ भी नहीं मिलेगा तकाज़ा किये बगै़र
फिर एक इम्तिहाँ से गुज़रना है इश्क़ को
रोता है वो भी आँख को मैला किये बगै़र
पत्ते हवा का जिस्म छुपाते रहे मगर
मानी नहीं हवा भी बरहना किये बगै़र
अब तक तो शहरे दिल को बचाए हैं हम मगर
दीवानगी न मानेगी सहरा किये बगै़र
उससे कहो कि झूठ ही बोले तो ठीक है,
जो सच बोलता न हो नशा किये बगै़र"
-- मुनव्वर राना
Wednesday, May 25, 2011
अल्लामा इकबाल कि रचनाओं से साभार्…
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या-रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
शोरिश से भागता हूँ दिल ढूँढता है मेरा
ऐसा सुकून जिसपर तक़दीर भी फ़िदा हो
मरता हूँ ख़ामुशी पर यह आरज़ू है मेरी
दामन में कोह के इक छोटा-सा झोंपड़ा हो
हो हाथ का सिरहाना सब्ज़े का हो बिछौना
शरमाए जिससे जल्वत ख़िलवत में वो अदा हो
मानूस इस क़दर हो सूरत से मेरी बुलबुल
नन्हे-से उसके दिल में खटका न कुछ मिरा हो
आग़ोश में ज़मीं की सोया हुआ हो सब्ज़ा
फिर-फिर के झाड़ियों में पानी चमक रहा हो
पानी को छू रही हो झुक-झुक के गुल की टहनी
जैसे हसीन कोई आईना देखता हो
फूलों को आए जिस दम शबनम वज़ू कराने
रोना मेरा वज़ू हो, नाला मिरी दुआ हो
हर दर्दमंद दिल को रोना मेरा रुला दे
बेहोश जो पड़े हैं, शायद उन्हें रुला दे
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
शोरिश से भागता हूँ दिल ढूँढता है मेरा
ऐसा सुकून जिसपर तक़दीर भी फ़िदा हो
मरता हूँ ख़ामुशी पर यह आरज़ू है मेरी
दामन में कोह के इक छोटा-सा झोंपड़ा हो
हो हाथ का सिरहाना सब्ज़े का हो बिछौना
शरमाए जिससे जल्वत ख़िलवत में वो अदा हो
मानूस इस क़दर हो सूरत से मेरी बुलबुल
नन्हे-से उसके दिल में खटका न कुछ मिरा हो
आग़ोश में ज़मीं की सोया हुआ हो सब्ज़ा
फिर-फिर के झाड़ियों में पानी चमक रहा हो
पानी को छू रही हो झुक-झुक के गुल की टहनी
जैसे हसीन कोई आईना देखता हो
फूलों को आए जिस दम शबनम वज़ू कराने
रोना मेरा वज़ू हो, नाला मिरी दुआ हो
हर दर्दमंद दिल को रोना मेरा रुला दे
बेहोश जो पड़े हैं, शायद उन्हें रुला दे
Tuesday, January 11, 2011
Friday, January 7, 2011
Quotation from spotmetering.com
When you buy an expensive GUITAR, you KNOW that playing skills
DO NOT COME with it!
When you buy an expensive CAR, you KNOW that driving skills
DO NOT COME with it!
When you buy an expensive CAMERA, why, then,
do you NOT KNOW that exposure skills
DO NOT COME with it?
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Thursday, January 6, 2011
मैंने आहुति बन कर देखा: Agyey Ji ki rachnao se ...
मैं कब कहता हूँ जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने,
मैं कब कहता हूँ जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने ?
काँटा कठोर है, तीखा है, उसमें उसकी मर्यादा है,
मैं कब कहता हूँ वह घटकर प्रांतर का ओछा फूल बने ?
मैं कब कहता हूँ मुझे युद्ध में कहीं न तीखी चोट मिले ?
मैं कब कहता हूँ प्यार करूँ तो मुझे प्राप्ति की ओट मिले ?
मैं कब कहता हूँ विजय करूँ मेरा ऊँचा प्रासाद बने ?
या पात्र जगत की श्रद्धा की मेरी धुंधली-सी याद बने ?
पथ मेरा रहे प्रशस्त सदा क्यों विकल करे यह चाह मुझे ?
नेतृत्व न मेरा छिन जावे क्यों इसकी हो परवाह मुझे ?
मैं प्रस्तुत हूँ चाहे मेरी मिट्टी जनपद की धूल बने-
फिर उस धूली का कण-कण भी मेरा गति-रोधक शूल बने !
अपने जीवन का रस देकर जिसको यत्नों से पाला है-
क्या वह केवल अवसाद-मलिन झरते आँसू की माला है ?
वे रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव-रस का कटु प्याला है-
वे मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन कारी हाला है
मैंने विदग्ध हो जान लिया, अन्तिम रहस्य पहचान लिया-
मैंने आहुति बन कर देखा यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है !
मैं कहता हूँ, मैं बढ़ता हूँ, मैं नभ की चोटी चढ़ता हूँ
कुचला जाकर भी धूली-सा आंधी सा और उमड़ता हूँ
मेरा जीवन ललकार बने, असफलता ही असि-धार बने
इस निर्मम रण में पग-पग का रुकना ही मेरा वार बने !
भव सारा तुझपर है स्वाहा सब कुछ तप कर अंगार बने-
तेरी पुकार सा दुर्निवार मेरा यह नीरव प्यार बने
मैं कब कहता हूँ जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने ?
काँटा कठोर है, तीखा है, उसमें उसकी मर्यादा है,
मैं कब कहता हूँ वह घटकर प्रांतर का ओछा फूल बने ?
मैं कब कहता हूँ मुझे युद्ध में कहीं न तीखी चोट मिले ?
मैं कब कहता हूँ प्यार करूँ तो मुझे प्राप्ति की ओट मिले ?
मैं कब कहता हूँ विजय करूँ मेरा ऊँचा प्रासाद बने ?
या पात्र जगत की श्रद्धा की मेरी धुंधली-सी याद बने ?
पथ मेरा रहे प्रशस्त सदा क्यों विकल करे यह चाह मुझे ?
नेतृत्व न मेरा छिन जावे क्यों इसकी हो परवाह मुझे ?
मैं प्रस्तुत हूँ चाहे मेरी मिट्टी जनपद की धूल बने-
फिर उस धूली का कण-कण भी मेरा गति-रोधक शूल बने !
अपने जीवन का रस देकर जिसको यत्नों से पाला है-
क्या वह केवल अवसाद-मलिन झरते आँसू की माला है ?
वे रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव-रस का कटु प्याला है-
वे मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन कारी हाला है
मैंने विदग्ध हो जान लिया, अन्तिम रहस्य पहचान लिया-
मैंने आहुति बन कर देखा यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है !
मैं कहता हूँ, मैं बढ़ता हूँ, मैं नभ की चोटी चढ़ता हूँ
कुचला जाकर भी धूली-सा आंधी सा और उमड़ता हूँ
मेरा जीवन ललकार बने, असफलता ही असि-धार बने
इस निर्मम रण में पग-पग का रुकना ही मेरा वार बने !
भव सारा तुझपर है स्वाहा सब कुछ तप कर अंगार बने-
तेरी पुकार सा दुर्निवार मेरा यह नीरव प्यार बने
my favourite Agyeya ji ki rachnao se....
चाँदनी चुप-चाप सारी रात
सूने आँगन में
अधूरेपन की मद्धिम
आनन्द की सम्भावना के
मैं दम साधे रहा,
मन में अलक्षित
सारी रात
उघड़कर वासना का
सूने आँगन में
-
-
- जाल रचती रही।
-
अधूरेपन की मद्धिम
-
-
- आँच पर तँचती रही।
-
आनन्द की सम्भावना के
-
-
- मनश्चित्रों से परचती रही।
-
मैं दम साधे रहा,
मन में अलक्षित
-
-
- आँधी मचती रही :
-
सारी रात
उघड़कर वासना का
-
-
- रूप लेने से बचती रही।
-
Wednesday, January 5, 2011
satpal khayal ki rachnao se saabhaar
बात छोटी-सी है पर हम आज तक समझे नहीं
दिल के कहने पर कभी भी फ़ैसले करते नहीं
सुर्ख़ रुख़सारों पे हमने जब लगाया था गुलाल
दौड़कर छत पे चले जाना तेरा भूले नहीं
हार कुंडल , लाल बिंदिया , लाल जोड़े में थे वो
मेरे चेहरे की सफ़ेदी वो मगर समझे नहीं
हमने क्या-क्या ख़्वाब देखे थे इसी दिन के लिए
आज जब होली है तो वो घर से ही निकले नहीं
अब के है बारूद की बू चार-सू फैली हुई
खौफ़ है फैला हुआ आसार कुछ अच्छे नहीं.
उफ़ ! लड़कपन की वो रंगीनी न तुम पूछो `ख़याल'
तितलियों के रंग अब तक हाथ से छूटे नहीं
दिल के कहने पर कभी भी फ़ैसले करते नहीं
सुर्ख़ रुख़सारों पे हमने जब लगाया था गुलाल
दौड़कर छत पे चले जाना तेरा भूले नहीं
हार कुंडल , लाल बिंदिया , लाल जोड़े में थे वो
मेरे चेहरे की सफ़ेदी वो मगर समझे नहीं
हमने क्या-क्या ख़्वाब देखे थे इसी दिन के लिए
आज जब होली है तो वो घर से ही निकले नहीं
अब के है बारूद की बू चार-सू फैली हुई
खौफ़ है फैला हुआ आसार कुछ अच्छे नहीं.
उफ़ ! लड़कपन की वो रंगीनी न तुम पूछो `ख़याल'
तितलियों के रंग अब तक हाथ से छूटे नहीं
Tuesday, January 4, 2011
Friday, December 31, 2010
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