Sunday, October 18, 2009


एक कविता लिखना चाहता हूँ

हो रही है शाम ।
डूबने वाले हैं अंधेरे में पेड़ ।
इमारतों के ओर-छोर ।
घर जाना चाहती हैं चिड़ियाँ ।
एक सन्नाटा है यहाँ ।
खाली पड़ी हैं बगीचे की कुर्सियाँ ।

आ रही हैं घरों से
आवाज़ें मिली-जुली ।

आकाश फ़िर लौट आया है अपने में ।

एक कविता लिखना चाहता हूँ ।

प्रयाग शुक्ल की रचनाओं से साभार.

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