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Just Wondering बस यूं ही.....
Wednesday, March 12, 2008
सपने
सपने हमेशा बेमतलब ही होते हैं शायद. सपने बीजने के लिए भी उतनी दिलेरी चाहिये जितनी खुदा को स्रष्टि की रचना करते समय थी.
(अजीत कौर की एक कहानी से साभार)
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मनीष सहाय (Manish Sahai)
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Nightlife
सपने
एक प्रशन
जीवन से भरपूर ........संगीत
एक और मेरे स्टील लाइफ संग्रह से
सन्डे अमूर्त होता है क्या?
क्रमशः
अगर रंग ना होते.......
अगर रंग ना होते....
No title
आज की पहली पोस्ट
एक और रंग बसंत का .....
"कुछ कवितायें समझ में भले ही न आती हों, किंतु वे म...
यह जो फूटा पड़ता हैहरा पत्तों से...धुप के आर पारवह...
No title
बसंत ऐसे ही आता है....... कुछ नया रचने के लिए......
यह एक पुराने श्वेत श्याम छायाचित्रों में से.......
एक और
Refreshing
कभी याद आता है .......प्रयाग शुक्ल जी ने कहा था......
बस यूं ही.....कुछ पसन्द आता गया जो तस्वीरों में उ...
No title
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