Monday, December 1, 2008

वजह देरी की


हार्ड डिस्क क्रेश हो गई

Sunday, November 30, 2008

रंगों से परिपूर्ण


आस्था के रंग....

जल बहुमूल्य है


इसे इस तरह व्यर्थ न होने दें

पिछले चार महीने

यूँ ही नहीं गए हैं..........


एक लंबे अंतराल के बाद.... थोड़ी हरीतिमा और थोड़ा उल्लास....

Tuesday, May 27, 2008

Friday, May 2, 2008

मैं फोटो क्यों खींचता हूँ?


मैं फोटो क्यों खींचता हूँ?

ताज़गी


एक अनुभव ताज़गी का

हरीितमा


हरीितमा;
माया जाल प्रकृती का
फैला
हुआ सर्वत्र...

Monday, April 28, 2008

यह एक पोस्ट बस कुछ परीक्षण के लिए है.

Saturday, April 26, 2008

Sunday, April 20, 2008

कितने आदमी थे?





Saturday, April 19, 2008

Sunday, April 6, 2008


कुछ नया सा ...
कुछ अद्भुत सा...

Wednesday, March 12, 2008

सपने

सपने हमेशा बेमतलब ही होते हैं शायद. सपने बीजने के लिए भी उतनी दिलेरी चाहिये जितनी खुदा को स्रष्टि की रचना करते समय थी.
(अजीत कौर की एक कहानी से साभार)

Sunday, March 9, 2008

एक प्रशन

पहला प्रश्न
केवल प्राण काफी थे?
किसने चेताई थी चेतना की मद्धिम आंच?
और किसने भेज दिए संशयों के अंधड़?

(अजय कुमार सिंह के "पेड़ की छाया दूर है " से साभार)
जीवन से भरपूर ........संगीत

एक और मेरे स्टील लाइफ संग्रह से

सन्डे अमूर्त होता है क्या?


शायद

क्रमशः

अगर रंग ना होते.......

अगर रंग ना होते....

गूगल आज लगातार सर्वर एरर दिखा रहा है.

Saturday, March 8, 2008


आज की पहली पोस्ट


एक और रंग बसंत का .....
"कुछ कवितायें समझ में भले ही आती हों, किंतु वे मेरी शांती भंग करने में सम्र्थ थी, मेरे मन को वे अक्सर उस दिशा में भेज देती थीं जिस दिशा में कहीं कोई क्षितिज नहीं था, कोई किताब खुल कर बंद होती थी। मेरी चेतना के घाट बंध चुके थे, मेरी चमड़ी मोटी हो चुकी थी, मेरे मुहावरे अब बदले नही जा सकते थेअतएव किसी के लिए यह असंभव कार्य था की वे मुझे बदल कर अपनी राह पर लगा लें।"
(रामधारी सिंह दिनकर, उद्धरण : संचयिता)
यह जो फूटा पड़ता है
हरा पत्तों से...
धुप के आर पार
वही फूट आता है
किसी और जगह;
किसी और सुबह
भरोसा है तो इसी हरे का
(प्रयाग शुक्ल के कविता संग्रह से साभार उध्रत)

Friday, March 7, 2008


बसंत ऐसे ही आता है....... कुछ नया रचने के लिए...... और उस पर यह !! क्यों? बस यूं ही......

यह एक पुराने श्वेत श्याम छायाचित्रों में से.......

एक और


Refreshing

कभी याद आता है .......
प्रयाग शुक्ल जी ने कहा था...

यह
जो हरा है


बस यूं ही.....
कुछ पसन्द आता गया जो तस्वीरों में उतारने की कोशिश की है.....

Wednesday, March 5, 2008