Thursday, December 31, 2009

वह खोई हुई चीज़ नहीं मिलती
दिनों तक कितनी ही चीज़ों में उसकी
झलक आती है अंधेरे में हम उससे मिलती-जुलती
चीज़ को उठाकर तौलने भी लगते हैं ।
घर में रास्ते में बरसों बाद भी कौंध जाती
है वह खोई हुई चीज़ । और जब चीज़ों के
खोने के बारे में बातें होती हैं,
वही याद आती है सबसे अधिक ।

Wednesday, December 30, 2009

हँसती हुई लड़की में
दौड़ते हुए लड़के में ।
फूलों में, घास में
झुर्रियों में ।
धूप में । चांदनी में ।

लहरों में, करवटों में--
हवा की ।
बादलों में ।
उछालों में
पर्वतों की ।

दहाड़ में समुद्र की ।
गलियों में । पाँत में पेड़ों की ।
स्त्रियों की आँखों में ।
पाँखों में चिड़ियों की ।

जीवन । जीवन ।
इतना जीवन ।



जिन्दगी हर जगह, पड़ाव दुबे पुल के नीचे.


परत दर परत उधड़ता आदमी, सिनेमा के पुराने पोस्टर की तरह.