चाँदनी चुप-चाप सारी रात
सूने आँगन में
अधूरेपन की मद्धिम
आनन्द की सम्भावना के
मैं दम साधे रहा,
मन में अलक्षित
सारी रात
उघड़कर वासना का
सूने आँगन में
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- जाल रचती रही।
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अधूरेपन की मद्धिम
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- आँच पर तँचती रही।
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आनन्द की सम्भावना के
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- मनश्चित्रों से परचती रही।
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मैं दम साधे रहा,
मन में अलक्षित
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- आँधी मचती रही :
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सारी रात
उघड़कर वासना का
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- रूप लेने से बचती रही।
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